शुभ चिंतन
कौन क्या,कहता है, उस पर छोड़ें
अपनी फिकर, वह खुद, कर लेगा
हम तो अपने, सुधार पर, ध्यान दें
परम शांति का भाव,मन में भरेगा
तू तो बस, अपना काम, किये जा
बाकी का, वह सब, देख लेगा
आज मिले, या चाहे, मिले कल
कर्म का, फ़ल, अवश्य मिलेगा ।
दुनिया को, हम धोखा, देते फिरते
अपने आपको, बुद्धिमान समझते
अंदर बैठा वह, सब देख, रहा है
उसकी नजर से,कैसे बच सकेगा।
कुछ देर को,सुख भले, मिल जाए
गर्व से, चाहे सर, ऊंचा हो जाए
बुरे कर्मों का,सदा बुरा, ही नतीजा
अन्ततः, तो यही,चरितार्थ करेगा
कोई माने, या न माने
पाप-पुण्य का भेद, हर कोई जाने
आत्मा तो, सजग, करती ही है
इससे, कोई कैसे, इन्कार करेगा।
अच्छे, विचारों, के माध्यम से
अपना कल ,सुधारा जा,सकता है
सकारात्मकता का हाथ जो थामा
शेष जीवन , आसान बनेगा।
सोच का जीवन में, बड़ा महत्व है
इससे ही कर्म का, मार्ग निकलता
लगातार जैसे, हम विचार करेंगे
धीरे-धीरे, वैसा ही, चरित्र बनेगा।
अब भी, समय है, करें शुभ चिंतन
सात्विक, विचारों, से भर , लें मन
उज्ज्वल हो, जाएगा, अन्तर्मन
उर में, आनंद ही, आनंद भरेगा।।
उर में, आनंद ही, आनंद भरेगा।।
— नवल अग्रवाल