कविता

प्यारा होता है संयुक्त परिवार

बरसता जहॉं प्रेम स्नेह, आशीष अपार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

बहुमूल्य आचरण के पनपते जहॉं मोती,
अनमोल संस्कारों की चमके वहॉं ज्योति,
धरोहर अपनों की अनुपम जीवन श्रृंगार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

भरते हैं तन मन के अदृश्य जहॉं घाव,
सुख-दुख की सुनहरी होती वहॉं छाँव,
खट्टी-मीठी सी होती तकरार-मनुहार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

बचपन नवल सतरंगी रंगत जहॉं पाता,
कठिनाइयों में भी जीवन वहॉं मुस्कुराता,
हो सारे सपने साकार दिया जाता आकार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

मिलकर खेलना-कूदना होता जहॉं मनोरंजन,
मेहमानों का भी होता वहॉं प्रेम से अभिनंदन,
संवारा जाता कुशलतापूर्वक मधु व्यवहार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

अनुभव से अंकुरण होता जहॉं बीज का,
चटक रंग होता वहॉं हर त्योहार तीज का,
ममत्व सींचता साहस, सदाचार सदाबहार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

जुड़ती एक दूजे से जहॉं रिश्तों की कडियॉं,
पूर्ण विश्वास से दमके वहॉं जीवन लडियॉं,
कलयुग में प्रभु से मिला अद्भुत “आनंद” उपहार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

बरसता जहॉं प्रेम स्नेह, आशीष अपार,
बड़ा ही प्यारा होता है संयुक्त परिवार ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु