मैं लिखता रहा
मैं लिखता रहा
लिख-लिख मिटाता रहा ।
वक्त ने सताया
मैं सहता रहा
काल के माथ पर
लिखता रहा
लिख- लिख मिटाता रहा ।
कभी भाग्य
कभी समय को दोष देता रहा
मैं कर्मपथ पर चला
कभी गिरा
कभी उठा
और चलता रहा
मैं लिखता रहा
लिख- लिख मिटाता रहा ।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा