जय बेशर्म देव
समय परिवर्तनशील है, बुद्धिमान वही होता है जो समय के साथ अपने आपको बदलने में माहिर होता है। ऐसे में भला बेशर्म ही क्यों पीछे रहें। अच्छा है कि वे अपने सुखद भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए समय के साथ तालमेल करने में सबसे आगे हैं। एक विशेष जानकारी आप सबको दे रहा हूँ, जिसकी जानकारी आपको निश्चित ही नहीं होगी। क्योंकि आप शरीफ आदमी हैं, बेशर्म शरीफ नहीं । शायद इसलिए कि आप शराफत का पल्लू छोड़ ही नहीं पा रहे हैं, जिसका नुकसान भविष्य में भी आप उठायेंगे।यह मेरा दावा है।आप चाहो तो लिखकर दे दूं कि आपकी शराफत आपको कहीं का नहीं छोड़ेगी। परिवार, समाज, बीबी, बच्चों से गालियाँ भी खूब खिलवायेगी। और भारत सरकार आपकी ओर आपके जीते जी क्या आपके मरने के बाद भी कोई शराफती कृपा दृष्टि नहीं दिखाएगी। वैसे भी आज तक की शराफत से कौन सा तीर मार लिया। आज भी कच्चा घर, टूटी साइकिल, दैनिक मजदूरी और अभावों के सिवा क्या है आपके पास? दूसरी ओर शराफत का रेशमी चोला ओढ़े बेशर्मों का जलवा देखिए कि भारत सरकार बेशर्म भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा करने वाली है।साथ ही पच्चीस पचास लाख नकद देने पर मैराथन बैठक में विचार कर रही है। इतना न भी दे तो भी दस- बारह लाख तो दे ही देगी।ऊपर से पचास हजार मासिक पेंशन, आयुष्मान कार्ड से बीस लाख तक के इलाज का खर्च, आजीवन सपत्नीक देश भर में मुफ्त रेल यात्रा सुविधा, जिले के बाहर प्रोटोकॉल सुविधा के साथ जिले का विशेष नागरिक होने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। अच्छा है शराफत छोड़िए और अभी से ज्येष्ठ श्रेष्ठ बेशर्म बनने के अभियान में लग जाइए। इसका तरीका भी मैं ही बता देता हूँ। जहाँ भी रहिए, पहले दो पक्षों में विवाद की नींव डालिए, फिर दोनों पक्षों से ले देकर समझौता कराकर शराफत का परिचय दीजिए। थाना पुलिस और सरकारी विभागों में घुसपैठ कीजिए। लोगों के काम बिल्कुल न कराइए, मगर अपने अर्थालाभ के लिए खूब आश्वस्त कीजिए। एक चौपहिया लोन पर ले लीजिए, दो चार चमचे पाल लीजिए, हो सके तो बेवजह मारपीट कर एक दो बार जेल यात्रा का सुख भी उठा लीजिए। विश्वास कीजिए पंचायत चुनावों में सदस्य, प्रधान, बीबीसी, जिला पंचायत सदस्य तो भविष्य में बन ही जायेंगे। कुछ पूजा इधर भी चढ़ा देंगे, तो विधायक-सांसद ,मंत्री तो हम ही बनवा देंगे। सरकारी, गैर सरकारी जमीन, भवनों पर अतिक्रमण का मौका कभी मत चूकिए, अड़ोसी पड़ोसी का सुख चैन जरुर छीनते रहिए। आप हर किसी को भाव मत दीजिए। इससे ज्यादा बेशर्म शराफत का ज्ञान लेना हो, तो मुझसे मिलने का समय मेरे पीए से मिलकर लीजिए। आज समय की यही माँग है ज्यादा शरीफ ही बनने का शौक है तो जरूर बनिए, भला रोकता कौन है? बस थोड़ा सा दिमाग को ठंडा रखिए और शरीफ बनने से पहले बेशर्मी से रिश्ता जोड़िए। बस बन गए बेशर्म शरीफ और मजे से जीवन का आनंद लीजिए। चलते चलते एक अंतिम गुरु मंत्र भी लेते जाइए, कि किसी शरीफ से कभी भी रिश्ता नबनाइए। आपका कल्याण हो, आज का सत्संग यहीं समाप्त होता है।अब घर जाइए और कल थोड़े ज्यादा दान-दक्षिणा के साथ सत्संग में समय से आकर सबसे आगे स्थान पाइए। ऊँ जय बेशर्म देव।