कविता

राम उठो- कृष्ण उठो

आदमी आदमी नहीं रहा
बहुत जहरीला हो गया है ।
रावण- कंस दिनदहाड़े करते अट्टहास …

राम-कृष्ण बैठे मंदिरों में
उचित समय की प्रतीक्षा में,

दुनिया बहुत जहरीली हो गई है ।

राम उठो, कृष्ण उठो
धनुष -चक्र चलाने का समय है
मानवता बचानी है
तो मर्यादा तोड़नी होगी
शायद बंसी तभी मधुर लगेगी
धरा के आंसुओं को पोंछने का समय है ।

हे राम ! हे कृष्ण !

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

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