गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़िंदगी से सवाल पूछेंगे,
आदमी से सवाल पूछेंगे।

क्या है रिश्ता तेरा अंधेरे से,
रौशनी से सवाल पूछेंगे।

ज़िंदगी से ही क्यूं लड़ाई है,
ख़ुदकुशी से सवाल पूछेंगे।

ग़म मेरे एक दिन ज़माने की,
हर ख़ुशी से सवाल पूछेंगे।

क्या पता कब यहां पैसेवाले,
मुफ़लिसी से सवाल पूछेंगे।

शेर जय के तुम्हारी बज़्मों में,
शायरी से सवाल पूछेंगे।

— जयकृष्ण चांडक ‘जय’

*जयकृष्ण चाँडक 'जय'

हरदा म. प्र. से

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