कविता

परख

 

तुम हो सब्जी में डली
तीखी मिरच
मैं हूँ सादे दाल का
फिका नमक

तुममे सुहागन की
रंगीन चूड़ियों सी
हैं खनख
मुझमे है
खाली सुराही
सी ठनक

तुम बहुमूल्य जैसे
हो कनक
मेरे वयक्तित्व में
उतनी नहीं है दमक

तुम्हारे चेहरे पर
है रौनक
मैं हूँ
एक दयनीय सा
आवारा सड़क

तुम्हारे आसपास है
जहाँ की तड़क भड़क
मैं हूँ जंगल के मौन का
एक उपासक

तुम्हारे पायल में
क्यों हैं इतनी झनक
मुझे उसके आशय की
किंचित भी
नहीं है परख

किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.