सभी सुहागनों को करवा चतुर्थी पर |
शुभ कामनाओं के साथ सादर समर्पित, |
सबके जीवन में करवा चौथ का त्योहार |
लेकर आये ख़ुशियाँ हजार |
सभी सुहागनों के दिल का यही अरमान है, |
मेरा पिया ही तो मेरा सारा जहान है, |
प्यारे पिया में बसी उसकी जान है |
पिया के लिए ही वह पूर्ण समर्पित है, |
उसका सबकुछ पिया के चरणो में अर्पित है, |
व्रत करती है पिया की दीर्घायु के लिए, |
शुद्ध मन से जलाती है पावन घी के दीये |
उसके नाम से ही अपनी माँग भरती है |
अपने पिया के लिए ही सजती संवारती है, |
भूखी – प्यासी रहती है बस चाहती है पिया |
पिया ही तो उसकी ख़ुशियों का संसार है |
आज उसे प्यारे पिया का ही दीदार है |
सब कुछ फीका लगता है आज पिया के आगे, |
पिया के प्रेमालिंगन से उसके भाग्य जागे, |
बस भावुकता से यह ओत – प्रोत |
यह प्यारा प्यार का त्योहार है |
पति पत्नी के रिश्तों की बुनियाद |
यह करवा चौथ का त्यौहार है, |
सभी सुहागनों के सर का सरताज सजा रहे, |
सम्पूर्ण समर्पण का आधार सर्वदा बना रहे, |
सिन्दूर चमकता रहे मांग सदा सजती रहे, |
चूड़ियों की खन खन घर आँगन गूंजती रहे, |
लाल जोड़ा पहन सुहागन दुल्हन सी सजती रहे, |
पांव थिरके तो पायल झम झम कर बजती रहे, |
मेहंदी रचे हाथों में पूजा की थालीयां भरती रहे, |
चाँद गगन में चमके,जीवन ज्योति जलती रहे, |
त्याग और समर्पण का यह पावन पर्व सजता रहे, |
दीर्घायु की कामना का यह व्रत सदा सदा चलता रहे . |
……जय प्रकाश भाटिया |
बहुत अच्छी सामयिक कविता.