गीतिका/ग़ज़ल

उम्मीद

दिल को अब भी है उनसे उम्मीद-ए-वफ़ा बहुत
जो भूल गये वादा-ए-वफ़ा को निभाते रहना

कभी दुनिया को पता ना चले हमारी रुसवाई का
तुम दिखावे के लिए ही हाथ मिलाते रहना

कितने तूफ़ानों से गुज़री है जिंदगी मेरी
अजब है फिर भी उम्मीद का दिया जलाते रहना

मेरे  गमगीन होने का तुम गम ना करो कोई
आता है “प्रिया” को काँटों के बीच मुस्कुराते रहना ।

*प्रिया वच्छानी

नाम - प्रिया वच्छानी पता - उल्हासनगर , मुंबई सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने E mail - priyavachhani26@gmail.com

4 thoughts on “उम्मीद

    • प्रिया वच्छानी

      शुक्रीया किशोर कुमार जी

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी ग़ज़ल, प्रिया जी.

    • प्रिया वच्छानी

      शुक्रीया विजय जी

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