पहचान
पहले पिता और फिर पति से पहचान मांगती है बेटियाँ बदल जाते है हकदार बस पहचान मांगती है बेटियाँ हर
Read Moreजाने कैसी फितरत है खुद से लड़ने की जुगत है है परेशान सी है जिन्दगी की चाह भी खत्म है
Read Moreहमेशा नसीहत देने वाली सास से रीमा परेशान सी सी थी हर वक्त बच्चे पालने से लेकर हर चीज में
Read More“अजी सुनते हो पास ही झोपड़पट्टियों में रात बहुत नुकसान हुआ है आग लगने से,दूर दूर से लोग सहायता करने
Read Moreहै बदला सा सब कुछ विश्वास के धागे अन्तहिन घात दुरूह हुआ रूदन भी अर्न्तमन का कासे कहूँ मन की
Read Moreअजीब सी भटकन है ये न कोई तयशुदा मंजिल न रास्ते एक तरफा भरा भरा सा आंंगन खाली खाली ये
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