लघुकथा

कभी देवता कभी दानव

“अजी सुनते हो पास ही झोपड़पट्टियों में रात बहुत नुकसान हुआ है आग लगने से,दूर दूर से लोग सहायता करने आ रहें है आप कहें तो मैं कुछ खाने पीने का सामान वहाँ भेज दूं।”
“लो अब ये भी कोई पूछने की बात है भला ये तो धर्म का काम है।”
तभी घर का नौकर छोटा सा छोटू बोला “मालकिन सारा काम हो गया मुझे कुछ खाने को दे देते तो…”
“बडी़ जोरदार भूख लगी है कल से कुछ खाया नहीं।”
“रहने रहने दे तेरी भूख का नाटक, तेरी भूख कभी भरती नहीं चल मेरी मदद करवा सामान पैक करवाकर धर्म का काम है वहाँ टी.वी.चैनल वाले और समाज के बडे़ लोग आने वाले है।”
“आज फिर खाने को पता नहीं कब खाने को मिलेगा ,पेट पर गीली पट्टी बांध ले छोटू बेटा” कहकर छोटू सामान पैक करवाने लगा।

अल्पना हर्ष

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - alpanaharsh0@gmail.com बीकानेर, राजस्थान