सुरक्षित स्थान
गुण्डों से बचते-बचाते, इधर से उधर भागते, सुमन अधमरी सी हो गई थी । हिम्मत जबाब देने लगी थी। उसे
Read Moreगुण्डों से बचते-बचाते, इधर से उधर भागते, सुमन अधमरी सी हो गई थी । हिम्मत जबाब देने लगी थी। उसे
Read Moreचुनाव के आसपास होने वाली रैली किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होती । कार्यक्रम से घर लौटे नेताजी बहुत
Read Moreतन्हा दिल की दीवारों पर कुछ परछाइयां मंडराती हैं ! कभी छेड़ें दिल के तारों को, कभी एकाँकी कर जाती
Read Moreदो माता आशीष भाग्य जगे शरण तेरी अहंकार मिटे दर्शन अभिलाषी माँ कृपा बरसे ज्ञान बढ़े समृद्धि बढ़े करे बेड़ा
Read Moreडबडबी आँखों से… कृषक निहारे कर दे मेघा तू … अब तो बौछारें कब बरसोगे ? सूखी हैं फसलें… सूखे
Read Moreभ्रष्टाचार के विरोध में नेता जी का अनशन जारी था और भ्र्ष्टाचार से त्रस्त जनता तन-मन-धन से उनके साथ खड़ी
Read Moreचंचल रोमांच से भरपूर इठलाती हिलौरे मारतीं, अनवरत… नदी और नारी जब भी बड़ीं… रोकीं गईं । कभी … बाँध
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