बेटी
सुधि और विवेक आज बहुत खुश थे । होते भी क्यों ना, सुबह से ही बधाई देने वालों का तांता
Read Moreशांत, व्यवस्थित, योजनाबद्ध शहर । लिए आगोश में, प्राकृतिक नजारे। कल तक था मैं… इक स्मार्ट शहर ॥ आज …
Read Moreसुनो दस्तक … चाहे परिवर्तन अब नारी । बीता वो युग, जब थी नारी “केवल श्रद्धा । जो बन कठपुतली
Read Moreना जाने वो … क्या मजबूरी थी , या जद्दोजहद थी , धन कमाने की , खुद को आजमाने की
Read Moreहूँ अज्ञानी … अपने अल्पज्ञान का मुझे भान है । अपने सीखने की लगन पर मुझको भी अभिमान है ॥
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