कविता

अज्ञानी मैं….

हूँ अज्ञानी …
अपने अल्पज्ञान का
मुझे भान है ।
अपने सीखने की लगन पर
मुझको भी अभिमान है ॥
मिलते हैं …
महाज्ञानी अक्सर ,
जो ज्ञान हैं बघारते ।
ज्ञान के गहरे चिंतन से
हैं ज्ञान को पछाड़ते ॥
नतमस्तक हूँ …
महाज्ञानियों समक्ष
सर्वत्र का जिन्हें ज्ञान है ।
पर, अपने सीखने की चाह पर
मुझको भी अभिमान है ॥
ज्ञान के अथाह समंदर से
बूँद-बूँद सहेजे जाती हूँ ।
आत्ममंथन रोज कर
ज्ञान की प्यास मैं बुझाती हूँ ॥
अपनी “अज्ञानता” का बोध ही
निसंदेह मेरा ज्ञान है ।
आगे बढ़ने की ललक पर
मुझको भी अभिमान है ॥

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed