कविता : याद मेरी क्या आई थी ?
भुला के वादे…भूला के कसमें लाए डोली… किसी और की सजना उतर के डोली, जब आँगन तेरे उसने पायल छनकाई
Read Moreभुला के वादे…भूला के कसमें लाए डोली… किसी और की सजना उतर के डोली, जब आँगन तेरे उसने पायल छनकाई
Read Moreसधे हुए हाथों से कुम्हार मिट्टी के दीए बनाए ! बिक जाएँ जब दीप सभी घर चुल्हा उसके जल जाए
Read Moreरौशनी के त्यौहार में हम दीपों की अवली जलाएँ ! कुछ खुशियाँ और मुस्कान चलो बुझे चेहरों को हम दे
Read Moreवर्ण पिरामिड है भूमि जननी चीर सीना अन्न जल दे बिन भेदभाव है ये पालनहार न कर दोहन स्वार्थी इंसा
Read Moreहाइकु सुहागन कर श्रंगार सजती सुहागन पूजे है चाँद व्रत चौथ का अखंड सुहागन है ये अरमां लम्बी हो उम्र
Read Moreसफ़र जिंदगी का… काटे कटे न तुम बिन ! यादों में तेरी, हम पहरों मुस्कुराते हैं ! ! अजब सी
Read Moreसींचें लहू से, आँचल में सिमटा प्यार ! माँ ही है संसार ! ! गर्दिशों की धूप में, आँचल की
Read Moreअथाह प्रेम लाख चाहा मगर फिर भी तन्हा काँटों से भरी है ये प्रेम डगर दुविधा में हूँ छायी बदरी
Read Moreरानी लक्ष्मीबाई धर काली का रोंद्र रुप अंग्रेजों का संहार किया ! मातृभूमि की रक्षा हेतु दुर्गा का अवतार लिया
Read Moreमुस्कुराहट में ग़म हम छुपा लेते हैं ! मेरे हालात गैरों को भी रुला देते हैं ! ! हो जाते
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