गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 07/12/2016 कुर्बतें रोशनी की चाह में खुद-ब-खुद जलने लगे कुर्बतें इतनी बढ़ी के फांसले बढ़ने लगे रेत की मानिंद हाथों से गिरा Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 05/12/2016 फुर्सत उनको फुर्सत ही न थी इस ज़माने से, कोई बे-करार था उनके करीब आने के उनकी ही याद में गुम Read More
कवितागीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 30/11/201630/11/2016 दिल है पहलु में दिल है पहलु में मगर इक कमी सी रहती है उसकी आवाज़ में बड़ी ख़ामोशी सी रहती है जिनकी पलकों Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 29/11/2016 मिले मेरी ख़ुशी का ग़म का जहाँ हिसाब मिले चले वहां जहाँ रिंदों को भी सवाब मिले मेरी नेकी ने बोहोत Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 24/11/2016 बाद-ऐ-सबा वो जो बाद-ऐ-सबा चल रही होगी उनको छु कर मचल रही होगी ख्याल-ऐ-वस्ल ही से हाल बुरा है यारों विसाले-ऐ-वस्ल Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 16/11/201616/11/2016 नाखुदा तना हो जो शज़र ज्यादा अकड़ कर टूट जाता है नसीब बे-अदब लोगों का अक्सर फूट जाता है मक्कारी की Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 15/11/201615/11/2016 रंग दिल की हर गली तंग लगती है बिन तेरे दुनिया बड़ी बेरंग लगती है बर्फ पे पसरी मखमल सी Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 13/11/2016 ख्वाहिशें चेहरे रोशन हैं पर दिल बुझे से रहते हैं आजकल लोग बनावट से भरे रहते हैं है बोझ इतना परिंदों Read More
कवितापद्य साहित्य अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 13/11/2016 किताबें अलमारी के किसी कोने में खामोश पड़ी किताबें रंग बिरंगी और कुछ सादा सी अपने आप में पूरी एक दुनिया Read More
गीतिका/ग़ज़ल अंकित शर्मा 'अज़ीज़' 12/11/2016 आंसू हमारी ज़िन्दगी में गम और ख़ुशी के बादल घने है इन्ही लम्हों को बंयाँ करने के लिए आंसू बने है Read More