व्यंग्य शुकुलाईन का फेसबुकिया साहित्य प्रेम
यूँ तो शुकुलाईन अपने शहर की जानी पहचानी फेसबुक यूजर हैं,शुकुलाईन के शहर के बिगड़े नवाब,लफंगे लुच्चे, टुच्चे,पनवाड़ीे से लेकर
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Read Moreचिंता सदा से चिता के समान रही है। ऐसा हमारे बुजुर्गों ने कहा, भगवान ही जाने बुजुर्गों ने कहा भी
Read Moreलग रहा है जैसे तू मुझसे दूर जा रही है, तेरी यादें मुझमें एक डर सा जगा रही है। बीते
Read Moreबड़ी मुश्किल है ये प्यार की डगर आई नहीं तुम आने का वादा कर खुश रहने की ख्वाहिश भी बची
Read Moreमाँ दुर्गा तुम्हारी आरती मैं करूँ भक्ति के साथ चरणों में माथा धरें सबल,दुर्बल, दीन अनाथ। सुरों में सरगम सजा
Read Moreतुझ बिन मेरा पहला-दिन, बेहद सूना-सूना निकला दिन। था सब कुछ पहले जैसा पर, मुझे लगा बदला-बदला दिन। हर पल
Read Moreसन् 1978 में फिल्म आई थी ‘त्रिशूल’ जिस पर साहिर लुधियानवी साब द्वारा लिखा हुआ एवं लता जी किशोर कुमार
Read Moreखिलता गुलाब थी, तू खिलता गुलाब है सूरत तेरी लाजवाब थी, लाजवाब है। तुझे देख के अक्सर बहक जाता था
Read Moreझूठे स्वर के धनी, अपने झूठे नामों और कारनामों को लेकर आये दिन विश्व स्तर पर अपनी किरकिरी कराने मे
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