मुहब्बत….
जितना समेटता है दिल मुहब्बत के एहसासों को; उतना ही बिखरता जाता ! तोड़के सारे हदों का किला तेरी ओर
Read Moreकभी कभी कुछ परिस्थितियां उत्पन्न कर देती है मन में कई सवाल जब कोई बन्दिशें रोकती है हमारे स्वतंत्र इच्छाओं
Read Moreकैसे कहूँ कि प्रेम क्या है मेरे लिए तो माँ की ममता प्रेम है पिता का धैर्य प्रेम है पति
Read Moreआज सोच रही थी तुम्हें उतने में चुपके से बाए आँख के पोर से एक आंसू की बूँद जैसे खुद
Read Moreगाँव की औरतें…. जितना चाहती हूँ उस बात को भूल जाना उतना ही याद आता गाँव की उन हमउम्र औरतों
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