एकावली छंद “मनमीत”
एकावली छंद “मनमीत” किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा।। हृदय में, खिल गयी। कोंपली, इक नयी।। मिला जब,
Read Moreएकावली छंद “मनमीत” किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा।। हृदय में, खिल गयी। कोंपली, इक नयी।। मिला जब,
Read More(हरिगीतिका छंद) तिथि दूज शुक्ला मास कार्तिक, मग्न बहनें चाव से। भाई बहन का पर्व प्यारा, वे मनायें भाव से।
Read More(निधि छंद) उनका दे साथ। जो लोग अनाथ।। ले विपदा माथ। थामो तुम हाथ।। दुखियों के कष्ट। कर दो तुम
Read Moreपुट छंद “रामनवमी” नवम तिथि सुहानी, चैत्र मासा। अवधपति करेंगे, ताप नासा।। सकल गुण निधाना, दुःख हारे। चरण सर नवाएँ,
Read Moreपावन छंद “सावन छटा” सावन जब उमड़े, धरणी हरित है। वारिद बरसत है, उफने सरित है।। चातक नभ तकते, खग
Read Moreपवन छंद “श्याम शरण” श्याम सलोने, हृदय बसत है। दर्श बिना ये, मन तरसत है।। भक्ति नाथ दें, कमल चरण
Read Moreआँख में अश्रु लाती हो। बाद में तू छुपाती हो।। नैन से लो गिरे मोती। आज तू मात क्यों रोती।।
Read Moreकभी न रूप, रंग को, महत्त्व आप दीजिये। अनित्य ही सदैव ये, विचार आप कीजिये।। समस्त लोग दास हैं, परन्तु
Read Moreस्वार्थ में सनी राजनीति है। वोट नोट से आज प्रीति है। देश खा रहे हैं सभी यहाँ। दौर लूट का
Read Moreसुखद बसंत पंचमी। पतझड़ शुष्कता थमी।। सब फिर से हरा-भरा। महक उठी वसुंधरा।। विटप नवीन पर्ण में। कुसुम अनेक वर्ण
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