Author: बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

कवितापद्य साहित्य

आल्हा छंद “अग्रदूत अग्रवाल”

अग्रोहा की नींव रखे थे, अग्रसेन नृपराज महान। धन वैभव से पूर्ण नगर ये, माता लक्ष्मी का वरदान।। आपस के

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कवितापद्य साहित्य

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न”

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न” जो भी विषय रखो तुम आगे, प्रश्न सभी के मन में मेरे। प्रश्न अधूरे रह जाते

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भजन/भावगीत

इन्द्रवज्रा छंद – शिवेंद्रवज्रा स्तुति

इन्द्रवज्रा छंद / उपेन्द्रवज्रा छंद / उपजाति छंद (शिवेंद्रवज्रा स्तुति) परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि

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कविता

काव्य-मंच 

काव्य-मंच (मापनी:- 2122  2122  212) काव्य मंचों की अवस्था देख के, लग रहा कविता ही अब तो खो गयी; आज फूहड़ता का ऐसा जोर है, कल्पना कवियों की जैसे सो गयी। काव्य-रचना की जो प्रचलित मान्यता, तोड़ उनको जो रचें वे श्रेष्ठ हैं; नव-विचारों के वे संवाहक बनें, कवि गणों में आज वे ही ज्येष्ठ हैं। वासनाएँ मन की जो अतृप्त हैं, वे बहें तो काव्य में रस-धार है; हो अनावृत काव्य में सौंदर्य तो, आज की भाषा में वो शृंगार है। रूप की प्रतिमा अगर है मंच पर, गौण फिर तो काव्य का सौंदर्य है; फब्तियों की बाढ़ में खो कर रहे, काव्य का ही पाठ ये आश्चर्य है! चुटकलों में आज के श्रोता सभी, काव्य का पावन रसामृत ढूंढते;

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हाइकु/सेदोका

हाइकु (नव-दुर्गा)

हाइकु (नव-दुर्गा)P शैलपुत्री माँ हिम गिरि तनया वांछित-लाभा। ** ब्रह्मचारिणी कटु तप चारिणी वैराग्य दात्री। ** माँ चन्द्रघण्टा शशि सम

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कविताकुण्डली/छंद

अहीर छंद “प्रदूषण”

अहीर छंद “प्रदूषण” बढ़ा प्रदूषण जोर। इसका कहीं न छोर।। संकट ये अति घोर। मचा चतुर्दिक शोर।। यह दावानल आग।

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