समान सवैया

कवितापद्य साहित्य

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न”

समान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न” जो भी विषय रखो तुम आगे, प्रश्न सभी के मन में मेरे। प्रश्न अधूरे रह जाते

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कविताकुण्डली/छंद

32 मात्रिक छंद “जाग उठो हे वीर जवानों”

समान सवैया / सवाई छंद / 32 मात्रिक छंद जाग उठो हे वीर जवानों, तुमने अब तक बहुत सहा है।

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कविता

समान सवैया “शारदा वंदना”

32 मात्रिक छंद / समान सवैया / सवाई छंद कलुष हृदय में वास बना माँ, श्वेत पद्म सा निर्मल कर

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कविताभजन/भावगीत

समान सवैया “वन्दना”

सवाई छंद/समान सवैया/32 मात्रिक छंद “वन्दना” इतनी ईश दया दिखला कर, सुप्रभात जीवन का ला दो। अंधकारमय जीवन रातें, दूर

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