Author: बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

कविताकुण्डली/छंद

32 मात्रिक छंद “जाग उठो हे वीर जवानों”

समान सवैया / सवाई छंद / 32 मात्रिक छंद जाग उठो हे वीर जवानों, तुमने अब तक बहुत सहा है।

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कवितापद्य साहित्य

रास छंद “कृष्णावतार”

रास छंद “कृष्णावतार” हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रही थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को,

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कुण्डली/छंदपद्य साहित्य

मनहरण घनाक्षरी (होली के रंग)

मनहरण घनाक्षरी “होली के रंग” होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।

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