बुदबुद छंद

कविता

बुदबुद छंद “बसंत पंचमी”

सुखद बसंत पंचमी। पतझड़ शुष्कता थमी।। सब फिर से हरा-भरा। महक उठी वसुंधरा।। विटप नवीन पर्ण में। कुसुम अनेक वर्ण

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