Author: बीजू ब्रजवासी

हास्य व्यंग्य

खट्टा-मीठा: हाय रे हाय मैंने देखा…

एयरकंडीशंड डिब्बों में हजारों किलोमीटर की ‘पैदल’ यात्रा करके मैं कश्मीर पहुँचा। वही कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता

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हास्य व्यंग्य

खट्टा-मीठा : लड़की नहीं, लड़ती हूँ

कोई पचपन साल की अधेड़ औरत यदि खुद को लड़की कहे, तो उस पर हँसी से ज़्यादा तरस आता है। दादी-नानी बनने की उम्र में लड़की बनने का शौक़ चर्राया हो, तो ब्यूटी पार्लर वाली भी आत्महत्या कर लेंगी। “सींग कटाकर बछड़े बनने” का मुहावरा ऐसे ही उदाहरणों से निकला होगा। वैसे औरतों के लिए और विशेषकर अधेड़ उम्र की औरतों के लिए लड़ना

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