बालगीत – रहते घर में जीव हमारे
रहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreरहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreपत्नी के साथ पहली – पहली रात को बतियाए या न बतियाए ; हाँ, कुछ महापुरुष उस महारात को बड़े
Read Moreआओ वृक्ष -मित्र बन जाएँ। छाया देकर ताप मिटाएँ।। वृक्ष सदा हैं पर – उपकारी। हवा बहाते शीतल न्यारी।। वृक्षों
Read Moreगीत वही है गेय, जहाँ कोकिल की लय है। नहीं शब्द का खेल,भाव नर्तन परिचय है।। जाना मत उस ठौर,मान
Read Moreपोंछ रहा जननी के आँसू बेटा भोला। उठता उर तपता – सा भारी -भारी गोला।। क्या दुख है मेरी माँ
Read Moreमोती सबको चाहिए,बिना हुए निधि पैठ। करे प्रतीक्षा मूढ़ नर, रहा किनारे बैठ।। मेरे उपर्युक्त दोहे के प्रथम चरण के
Read Moreविश्व साहित्य सेवा ट्रस्ट(रजि०) के तत्त्वावधान में समाज के श्रेष्ठ लेखकों एवं साहित्यकारों का एक भव्य सम्मान समारोह आगरा के
Read Moreकण -कण में विस्तारित तेरी चमकार। बहती है पाहन से गंगा की धार।। कहते हैं दिखता है आँखों से दृश्य।
Read Moreहोली तो हो ली सखे,फूले किंशुक लाल। पाटल महके झूमकर,बौरा गए रसाल।। कोकिल कूके बाग में, कुहू-कुहू की टेर, चोली
Read Moreआओ खेलें नेता – नेता। बनकर कुर्सी – वीर विजेता।। चिकनी- चुपड़ी बातें करके। नोट कमाएँ कमरे भरके।। नेता बस
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