नवगीत
धोए जननी सुत की सुथरी मैली गीली कथरी। सही वेदना नित नौ मासा मन में फूली आशा। एक एक पल
Read Moreशिक्षा का आदर्श है,शिक्षक प्रभा-मशाल। तम हो तले चिराग के,शिष्यों का क्या हाल? सीख ज्ञान-उपदेश की ,दे शिक्षक आदर्श, नैतिक
Read Moreभाइयो ! बहनो!!जीवधारियों में गहनो! ‘हम’ तुम्हारी नाक हैं। तुम्हारी साँस को चौबीस घण्टे,सातों दिन,बारहों महीने अंदर- बाहर लाने ले
Read Moreरहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreपत्नी के साथ पहली – पहली रात को बतियाए या न बतियाए ; हाँ, कुछ महापुरुष उस महारात को बड़े
Read Moreआओ वृक्ष -मित्र बन जाएँ। छाया देकर ताप मिटाएँ।। वृक्ष सदा हैं पर – उपकारी। हवा बहाते शीतल न्यारी।। वृक्षों
Read Moreगीत वही है गेय, जहाँ कोकिल की लय है। नहीं शब्द का खेल,भाव नर्तन परिचय है।। जाना मत उस ठौर,मान
Read Moreपोंछ रहा जननी के आँसू बेटा भोला। उठता उर तपता – सा भारी -भारी गोला।। क्या दुख है मेरी माँ
Read Moreमोती सबको चाहिए,बिना हुए निधि पैठ। करे प्रतीक्षा मूढ़ नर, रहा किनारे बैठ।। मेरे उपर्युक्त दोहे के प्रथम चरण के
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