इज़्ज़तदार
शहर की एक तवायफ ने चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भरा परचा भरने के बाद अपनी पहली चुनावी सभा में
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Read Moreरात के अंतिम प्रहर में शिशु रूप में स्वप्न में देखा अपने आपको बेपरवाह माँ के आँचल से खेल रहा
Read Moreपहले मिलते थे वो बड़ी गरमजोशी से न जाने कैसी ब्यार चली जो रूख बदल गया सनम तुम चाहो तो
Read Moreसिमट सिमट अब कितना सिमटेंगे दस बारह से होते होते एक पर आ गए कभी गर्व था परिवार पर अपने
Read Moreप्रीत कर बावरे साँवरे से मन लगा प्रिय चरणों में भूल जा कि मैं, मैं हूँ प्रीत कर ऐसी तू
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