मोबाइल युग
अब तो बस खामोशी है बिस्तर पर दोनों लेटे हैं एक़ पूरब को मुँह करके दूजा मुँह करके पश्चिम को
Read Moreअब तो बस खामोशी है बिस्तर पर दोनों लेटे हैं एक़ पूरब को मुँह करके दूजा मुँह करके पश्चिम को
Read Moreहैरान परेशान भटक रहा इस बियावान में ऐसे जैसे मृग फटकता फिरता जंगल जंगल खोजे उस कस्तूरी को छुपी हुई
Read Moreहर चीज यहां बिकाऊ है बस खरीददार चाहिए जिस्म भी मिलेगा ईमान भी मिलेगा जरूरतमंद की जरूरत क्या है जेब
Read Moreदौर जो यह चल रहा है हर आदमी यहाँ बड़ा बनने की होड़ में दौड़ रहा है भूल रहा है
Read Moreऔरों पर हँसने वालों कभी यह भी सोचा तुम भी बन सकते हो हंसी के पात्र किसी रोज उस दिन
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