हिन्दी माँ
हिन्दी भाषा प्रेम की, सबको प्रेम सिखाय। सब भावों के राग की, ये ही है पर्याय।। शब्दों का निज कोष
Read Moreहिन्दी भाषा प्रेम की, सबको प्रेम सिखाय। सब भावों के राग की, ये ही है पर्याय।। शब्दों का निज कोष
Read Moreअधूरा इश्क़ एक लंबे इंतज़ार के बाद, फिर से वही इंतज़ार का आलम… ना ख़्वाब ही पूरे हुए ना नींद
Read Moreमैं ख्याल की धरती पर माँ को पयाम लिखती हूँ अता की जो तुमने ये दुनिया मुझे सिर को झुकाकर
Read Moreमन उड़ता था वनपाखी बनकर हवा, पेड़, फूल – पत्तों से, बातें करता था जमकर रोज सवेरे उठकर माँ से
Read Moreरे बंसी बजाई हरजाई सगरी सुध बिसराई झट- पट गोपिन आई ************* वो तेरी छुअन मोहे मन प्रेम अगन जगे
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