Author: *डॉ. दीपक आचार्य

कविता

बादल

बादल बड़े बदचलन होते हैं लोग जब आतुर होते हैं सूरज या चँदा दर्शन के तब सायास ढक लेते हैं अपने पर फैलाकर और दे देते हैं सबूत अपनी बदचलनी या कि दंभ का। सूरज, चाँद और तारे चलते रहे हैं युगों-युगों से अपने नियत रास्तों पर पर कोई भरोसा नहीं इनका, कभी ये खुद भटक जाते हैं कभी हवाएं भटका देती हैं, इसी बदचलनी के चलते बादल खोते जा रहे हैं अपनी आँखें, अब नहीं दीखता इन्हें धरती का विराट कैनवास इसीलिए अनचाहे बरस जाते हैं,

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

साधना रहस्य – नाम और मंत्र जप से पाएं संकल्प सिद्धि

हर व्यक्ति चाहता है आत्म शान्ति। इसके लिए वह लाख प्रयत्न करता है किन्तु मनः शान्ति उससे उतनी ही दूर

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सामाजिक

स्पीड ब्रेकर और खड्डे लाते हैं दुर्भाग्य और अनिष्ट

राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर गांव-कस्बों और शहरों तक की सड़कों पर पिछले कुछ वर्षों से स्पीड़ ब्रेकरों का चलन बेतहाशा

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भाषा-साहित्य

हिन्दी की सार्वभौम प्रतिष्ठा के लिए समर्पित प्रयास जरूरी

हिन्दी को जन-जन के हृदय की भाषा बनाने के लिए भाषणों और आडम्बरों से परे रहकर दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मीय-समर्पित

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सामाजिक समरसता के भगीरथ -अलौकिक लीलावतार मावजी महाराज

भारतीय संस्कृति में धर्म साधना का जो रूप दिखाई देता हैं वह मज़हब या रेलिज़न का पर्याय मात्र न होकर

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