Author: *डॉ. दीपक आचार्य

इतिहास

साहित्यकाश में दशकों तक छाए रहे फक्कड़ शब्दशिल्पी मणि बावरा

बांसवाड़ा के साहित्यकाश में उदित होकर अपनी रचनाओं की चमक-दमक के साथ देश के साहित्य जगत में ख़ासी भूमिका निभाने

Read More
कविता

बादल

बादल बड़े बदचलन होते हैं लोग जब आतुर होते हैं सूरज या चँदा दर्शन के तब सायास ढक लेते हैं अपने पर फैलाकर और दे देते हैं सबूत अपनी बदचलनी या कि दंभ का। सूरज, चाँद और तारे चलते रहे हैं युगों-युगों से अपने नियत रास्तों पर पर कोई भरोसा नहीं इनका, कभी ये खुद भटक जाते हैं कभी हवाएं भटका देती हैं, इसी बदचलनी के चलते बादल खोते जा रहे हैं अपनी आँखें, अब नहीं दीखता इन्हें धरती का विराट कैनवास इसीलिए अनचाहे बरस जाते हैं,

Read More
धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

साधना रहस्य – नाम और मंत्र जप से पाएं संकल्प सिद्धि

हर व्यक्ति चाहता है आत्म शान्ति। इसके लिए वह लाख प्रयत्न करता है किन्तु मनः शान्ति उससे उतनी ही दूर

Read More