किसके लिए
धीमे और आराम चलती हुई बस गाड़ी की गति एकदम बदल जाती है। शाम को तीन बजे के लगभग, जाम
Read Moreकाले रंग की आड़ केलर, पलकों की हरकतों से, बेहद अदाएँ बरसानेवाली, लुका-छिपी आँखों की नमी में, ढकी-छिपी थी, मेरी
Read Moreपाँच साल बाद फिर जब मैं उतारा था रेल के दरवाज़े पर कुछ अजनबी-सा बदलाव तो ज़रूर था चेहरे, नये
Read Moreशाम का समय, पसीने ने पूरे शरीर पर हमला कर रखा है, तिस पर डूबती किरणें दिन भर की थकान
Read Moreहिंदी एक ऐसा जादूगर है, जो मानवों के हृदय में दिन-ब-दिन हमला किया जा रहा है। आज तक उस हमले
Read Moreश्री लंका और भारत की प्रगाढ़ मित्रता अत्यंत पुरानी है, जिसका एक ताज़ा अनुभवपिछले अक्टूबर कोश्री लंका के पत्रकारों के
Read Moreप्यार कोई सुंदर बोलता – कोई हँसीन कोई पवित्र बंधन – कोई और हर दिशा – तरुण-तरुणी बाहें थामकर –
Read More“माँ… ओ री माँ… भिखारी किसे कहते हैं?” रज़िया पटरी के किनारे पर बैठकर इधर-उधर चलती गाड़ियों की ओर देख
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