गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 20/08/2021 गीत द्रोण,भीष्म गर बोले होते , शायद महासमर टल जाता । सोंचो बीच सभा में नारी , दुष्ट दुःशासन खींचे सारी Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 12/08/2021 गीत यहाँ हर तरफ है अनीति पर सच्ची बातें कौन कहे ? द्रुपदसुता निर्वस्त्र हो गई , भीष्म, द्रोण सब मौन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 20/07/2021 गजल आदमी बनने से जुदा होना । और इंसान का खुदा होना । ऐब यह आदमी में पुश्तों से, मतलबी बनकर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 09/07/2021 गीतिका बैठ करके हाथ तू! एक दिन मलेगा । झूठ का धंधा तेरा कब तक चलेगा ? चाँद, सूरज, रोज ढलने Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 22/06/2021 हम पत्ते हम पत्ते , पतझड़ तक जीवन ,फिर मिट्टी हो जायेगा तन । मेरे बचपन में बसंत ने, पिता सरिस है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 21/06/2021 गीतिका सोचते रहते वृथा हम ,नही रुकते एक भी पल। जिंदगी का मूल्य है बस दो मिनट का मौन केवल। रेशमी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 21/06/202125/06/2021 गीतिका छोड़कर गम क्यों मुझे जाता नही ? यह पहेली मैं समझ पाता नही । मैं किसी को दर्द देकर, खुश Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 22/05/202127/05/2021 गीतिका सीने में छुपी आग है , मालूम ये रहे !आँधी मे वो चिराग है, मालूम ये रहे ! रस्ता तेरा Read More
ब्लॉग/परिचर्चा *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 18/05/2021 कोविड महामारी में सामाजिक मूल्यों का पतन कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर में उत्पन्न हुआ और देखते देखते पूरे विश्व में एक माहामारी बनकर फैल गया Read More
कुण्डली/छंद *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 18/05/2021 पुस्तक 1-पुस्तक ने इंसान को,दिये अनूठे ज्ञान।पुस्तक कहती है कभी पशु सा था इंसान।पशु सा था इंसान ,जंगलो में रहता था Read More