मत जाओ दूर मेरे सखा
मत जाओ दूर मेरे सखा, निकट मम रहो; कुछ मन की कहो, हिय की सुनो, चाहते रहो ! आत्मा में
Read Moreमत जाओ दूर मेरे सखा, निकट मम रहो; कुछ मन की कहो, हिय की सुनो, चाहते रहो ! आत्मा में
Read Moreसुरों से है मेरा नाता, कोई मुझमें है गा जाता; कभी मैं जान ना पाता, कोई पर उसे सुन जाता
Read Moreउलझना कहाँ वे चहते, अधिक संसार के रिश्ते; बीज जब दग्ध हो जाते, उगा अंकुर कहाँ पाते ! देख
Read Moreसरोजों का उभरना भी, सूर्य के ओज से होता; सरोवर का हृदय मंथन, उसे उद्गार से भरता ! समाधित जल
Read Moreरहा गन्तव्य सबका एक, प्रश्न करते अनेकानेक; बहे बूँदों सरिस धारा, रहे फिर भी मनोहारा ! समय की धार सब
Read Moreतरोताज़ा सुघड़ साजा, सफ़र नित ज़िन्दगी होगा; जगत ना कभी गत होगा, बदलता रूप बस होगा ! जीव नव
Read Moreलय प्रलय से बहुधा परे, वे विलय करते विचरते; हर हदों को वे नाख़ते, हर हृदय डेरा डालते ! हर
Read Moreमन ज्ञात है अज्ञात को, अज्ञात ना कुछ ज्ञात को; चलता है पर अज्ञात सा, रचता जगत अनजान सा !
Read Moreअज्ञान में जग भासता, अणु -ध्यान से भव भागता; हर घड़ी जाता बदलता, हर कड़ी लगता निखरता ! निर्भर सभी
Read Moreसुर सुहाने उर रूहाने, आनन्द धारा ले चले; अज्ञात को कर ज्ञात मग, कितनी विधाएँ दे चले ! विधि जो
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