झकझोरता चित चोरता
झकझोरता चित चोरता, प्रति प्राण प्रण को तोलता; रख तटस्थित थिरकित चकित, सृष्टि सरोवर सरसता । संयम रखे यम के
Read Moreझकझोरता चित चोरता, प्रति प्राण प्रण को तोलता; रख तटस्थित थिरकित चकित, सृष्टि सरोवर सरसता । संयम रखे यम के
Read Moreहर हुस्न का जो जश्न था, एक रोशनी में ढ़ल गया; हर अहं का जो बहम था, परमात्म में मिल
Read Moreसम्राट हम पैदा हुए, पर सृष्टि ना समझा किए; ना विरासत से कुछ लिये, ना विराटित हिय को किए ।
Read Moreनव आकर्षण नव नव वर्षण, नव हर्ष धरा पर तुम भर दो; चिन्तन चेतन अध्यात्म प्रखर, हर मानव जीवन में
Read Moreज़िंदगी समझ भी कहाँ आयी ज़िंदगी समझ भी कहाँ आयी, बन्दगी उनसे कहाँ हो पायी; बुझदिली दूर कहाँ उनकी हुई,
Read Moreकहाँ आधार जीवन का, कहाँ है केंद्र जीवन का; तरंगित उर किया सबका, दिखा कब हिय किया उसका. नयन
Read Moreखुश हैं कि जैसे जग में मिला सभी कुछ हुआ; नज़रों की नज़्म सुनके, खुलासा था कुछ हुआ.
Read Moreकुछ दिन पूर्व रचित मधु गीत (बंगला – हिन्दी रूपान्तर के साथ, हिन्दी व उर्दू ) द्वारा भाव गंगा में डुबकी लगाइए:
Read More२३ जून २०१४ सोमवार हंवर नदी तट पर (कनाडा) 1. आनन्द में अभिभूत हो, कुछ सृष्टि जग में हो गयी;आलोक्य
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