मेरी कहानी 188
दूसरे दिन सुबह को हम जल्दी तैयार हो गए क्योंकिं हम ने हम्पी देखने जाना था। होटल की कैंटीन से
Read Moreदूसरे दिन सुबह को हम जल्दी तैयार हो गए क्योंकिं हम ने हम्पी देखने जाना था। होटल की कैंटीन से
Read Moreसुबह उठे और मशवरा करने लगे कि आज कहाँ जाना था तो मैंने कहा जसवंत ! इतने दिन हो गए
Read Moreटैक्सी वाले ने जो स्क्रैच कार्ड हम को दिए थे, उन में तरसेम की हौलिडे की लाटरी निकल आई थी।
Read Moreकैलंगूट की हाई स्ट्रीट में आ कर हम दोनों तरफ के होटलों का ज़ायज़ा लेते जा रहे थे कि एक
Read Moreटैक्सी में बैठ कर हम फ्रांसिस एगज़ेविअर चर्च देखने चल पड़े। जब हम छुटियों पर होते हैं और घर से
Read Moreस्पाइस गार्डन मुझे तो इतना अच्छा लगा था कि इस की याद अभी तक आती है। पूरा गार्डन तो हमें
Read Moreअपने अपने कमरों में सामान रख कर हम बाहर को जाने लगे। कुछ गज़ की दूरी पर ही एक कैंटीन
Read Moreगोआ जाने की तयारी हो गई थी। इंग्लैंड में तो उस समय बहुत सर्दी पढ़ रही थी और कुछ कुछ
Read Moreइजिप्ट से आ कर ज़िन्दगी फिर पहले की तरह चलने लगी। वोह ही ऐरन को स्कूल ले जाना और वोह
Read Moreपिरामिड देख कर लगा, जैसे मेरी सारी जिंदगी की भूख ख़तम हो गई थी क्योंकि उन दिनों मुझे डाकूमैंटरी देखने
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