गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/08/2022 ग़ज़ल सदियों पहले की बीमारी। ज़ुल्म सितम है अब तक जारी। खूब मलाई खाते लीडर, जनता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 03/08/2022 तिरंगा है ऊँचा गगन में उठाना तिरंगा। कि देखे हसद से ज़माना तिरंगा। खिलाड़ी लगायें इसे पोडियम पर, तभी विश्व में Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 26/07/2022 ग़ज़ल धीरे धीरे से मुस्कुराते हैं। हौले हौले करीब आते हैं। वेदना दे नयी नयी हर दिन, सब्र को खूब आज़माते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/07/2022 ग़ज़ल वक्त के दुर्दिनों के मारे हैं। आज हम सब खुदा सहारे हैं। अबभला किसतरहमिलन होगा, इस तरफ मैं वो उस Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/06/2022 ग़ज़ल सुब्ह का आफ़ताब हैं हम लोग। जागते दिन का ख्वाबहैं हम लोग। खुद ब ख़ुद रास्ता बना लेंगे, तेज़ रफ़्तार Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 09/06/2022 ग़ज़ल ये पता सभी को है पूँछ लो ज़माने से। सच कभी नहीं छुपता झूठ ताने बाने से। चाहहोअगरदिलमेंकुछनहींहैनामुमकिन, रास्ता निकल आता रास्ता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 26/04/2022 ग़ज़ल इसको लड़ाई का अब आधार मत बनाओ। मज़हब को आज हरगिज़ हथियार मतबनाओ। जीवन को इस तरह से बीमार मत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/04/2022 ग़ज़ल प्यार से बुलाते हैं। प्यार ही सिखाते हैं। जो मिलें दबे कुचले, हम गले लगाते हैं। हैं दलित भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/04/2022 ग़ज़ल देश की हालत संभलनी चाहिए। बद तरीं सूरत बदलनी चाहिए। अब सियासतदान की हरकत कोई, आम जनता को न खलनी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 12/04/2022 ग़ज़ल तीर चुपचाप है कमां चुप है। जो जहाँ है अजी वहां चुप है। यूँ तो वाचाल है बहुत लेकिन, हो रहा Read More