“हो सके तो”
दो घडी को पास आओ, हो सके तो, या कभी हमको बुलाओ, हो सके तो! कबसे है रुठा हुआ सा
Read Moreदो घडी को पास आओ, हो सके तो, या कभी हमको बुलाओ, हो सके तो! कबसे है रुठा हुआ सा
Read Moreदौड़ आएगी पुकारो, ज़िन्दगी राह में तेरी हज़ारों, ज़िन्दगी! ख़्वाब मेरे आसमां पर जा बसे अब उन्हें नीचे उतारो, ज़िन्दगी!
Read Moreदोस्त बस दो चार मिलेगें, दुश्मन कई हज़ार मिलेेगें! भूलना चाहा हरदम जिन्हे, हर मोड पर हरबार मिलेगें! आंख, मुंह
Read Moreयादों की दीवार पर कुछ चित्र पुराने लगा दिये पलकों के झरोखों पर फिर ख्वाब सुहाने लगा दिये क्या
Read Moreमैं तेरे इक इशारे को, नजर का तीर लिख दूंगा, तेरी बाहों के घेरे को, हसीं जंज़ीर लिख दूंगा, हमारी
Read Moreसारा आलम जाने क्यूं “ग़मगीन” हुआ है, हवाओं से ज़ुर्म कोई “संगीन” हुआ है ! रंग नहीं ये होली का,
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