ग़ज़ल : लगा दिये
यादों की दीवार पर कुछ चित्र पुराने लगा दिये पलकों के झरोखों पर फिर ख्वाब सुहाने लगा दिये क्या
Read Moreयादों की दीवार पर कुछ चित्र पुराने लगा दिये पलकों के झरोखों पर फिर ख्वाब सुहाने लगा दिये क्या
Read Moreमैं तेरे इक इशारे को, नजर का तीर लिख दूंगा, तेरी बाहों के घेरे को, हसीं जंज़ीर लिख दूंगा, हमारी
Read Moreसारा आलम जाने क्यूं “ग़मगीन” हुआ है, हवाओं से ज़ुर्म कोई “संगीन” हुआ है ! रंग नहीं ये होली का,
Read Moreकभी अपने पुरखों के पास पडी “देखी थी” , वक्त को वक्त बताती मैने वो घडी “देखी थी” ! टुट
Read Moreचलो ऐसा भी मेरे यार, एक बार कर दिया जाए, मुझे इस दुनिया में, दुनियादार कर दिया जाए। कब तक छिपेगा
Read Moreकोई झूठ में यहां, कोई बहाने में रह गया, मैं तन्हा सच बोलकर ज़माने में रह गया! राहें मुहब्बत में
Read Moreआज मैं अपनी सफाई दे दूँ कुछ रुसवाई, कुछ जगहंसाई दे दूँ ! हरदम तु अब तन्हा क्यूं रहे, थोडी सी
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