अपने स्वाभाव में जियो
न किसी के अभाव भाव में जियों, न किसी के प्रभाव में जियो, ज़िन्दगी में जीना है तो, बस
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Read Moreपगड़ी आदमी के पहनावे की शान है, पगड़ी सच में महानता की पहचान है, एक दिन पगड़ी का दिमाग- सातवें
Read Moreमन तो आतुर है , ऊंचा उड़ने को, जाकर बादलो के पार नील गगन चूमने को, इंद्रलोक की अप्सराओं के
Read Moreअब प्यार के मुनासिब , कहीं कोई दिल नहीं मिलता, अब दिल के आँगन में प्यार का गुल भी
Read Moreक्षितिज की और संध्या काल में निहारती नारी के मन में उठते भावो का ब्यान करती हुई यह कविता —–
Read Moreलेखनी तो सरस्वती है, इसका अपमान न करें, सत्य लिखें सौम्य लिखे, अश्लीलता से दूर रहें, सच चाहे कड़वा भी
Read Moreयह जीवन, कभी जय है तो कभी अजय कभी नश्वर तो कभी अक्षय कभी मधु भाषी कभी कर्कश, कभी सहज
Read Moreवैलेंटाइन डे मनाओ, हर रोज़, मनाओ,. . मगर अपना तरीका बदलकर. . . किसी रोते हुये बच्चे के माथे को
Read Moreसरस्वती माँ की कृपा से, बसंत पंचमी के पावन महापर्व पर, हम सब पर विद्या देवी माँ शारदा की असीम
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