कविता

वैलेंटाइन डे मनाओ,

वैलेंटाइन डे मनाओ,
हर रोज़, मनाओ,. .
मगर अपना तरीका बदलकर. . .
किसी रोते हुये बच्चे के माथे को चूमकर तो देखो
उसे खिलौना दो,
किसी अनाथ बच्चे के गाल को
चूम कर तो देखो,
उसे मिठाई दो.
सारे दिन काम करती माँ के हाथो को
चूम कर तो देखो,
उसके पांव छूकर आशीर्वाद लो.
उस 8 साल के बच्चे को चूमो
जो तुम्हारे जागने से पहले तुम्हारे घर
मेँ अखबार रखकर चला जाता है.
उसे हर त्यौहार पर कोई तोहफा दो, .
आपकी कार रोज धो कर चमकाता है,
उसे भी कभी कार की सैर कराओ
अरे चूमना है तो उसे चूमो , जिनको कभी प्यार
ना मिला हो
बचपन मेँ जिनके माँ बाप गुजर
गये हो ,
उन्हें पढाओ लिखाओ, किसी स्कूल में भर्ती कराओ,
सिर्फ प्रेमी या प्रेमिका को चूम लेना ही
वैलेंटाइन डे नहीँ होता
प्यार सब में बांटो, प्यार दो प्यार लो,
रोज़ रोज़ वैलेंटाइन डे मनाओ, — जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

3 thoughts on “वैलेंटाइन डे मनाओ,

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    सुंदर सृजन

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    प्यार सब में बांटो, प्यार दो प्यार लो,

    रोज़ रोज़ वैलेंटाइन डे मनाओ. बहुत खूब .

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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