माया जाल
कैसे भूल गया ईश्वर को, फंस कर माया जाल में, पढ़ लिख कर तुम बड़े हुए ,पर पड़ गए किस
Read More‘जय विजय’ के प्रबंध सम्पादक विजय कुमार सिंघल एवं श्रीमती बीनू अग्रवाल के विवाह की २५वीं वर्षगाँठ के अवसर पर
Read Moreमैंने अपने कुछ मित्रों के नाम का सहारा लेकर उन्हें इस कविता के माध्यम से दिल से याद किया है।।।
Read Moreउठाना खुद ही पड़ता है, थका टूटा बदन अपना जब तक सांस चलती है, कोई कान्धा नहीं देता, न रिश्ते
Read Moreन किसी के प्रभाव में जियो,न किसी के अभाव में जियों, ज़िन्दगी में जीना है तो, बस अपने स्वभाव
Read Moreहम काँच के खिलौने नहीं हैं, जो गिरते ही टूट जायेंगें , जोर से चट्खेगें और टुकड़े टुकड़े बिखर जायेंगें,
Read Moreआज के इंसान की ज़िंदगी- जैसे सलाखों के पीछे कैद , लगती हैं कारावास सी, कुछ सलाखें हैं व्यावसायिक मज़बूरी
Read Moreसमय की कसौटी बीता समय पंख लगा, क्षितिज में समाया है, और हम कर रहे समीक्षा, हमने क्या खोया क्या
Read Moreमेरे दिल में एक छोटा सा बच्चा है ……. जो सोचता रहता है तुम्हे , एक शरारत की तरह
Read Moreशुभ प्रभात मित्रों, आज का दिन बहुत खास व महत्वपूर्ण है आज हमारे मित्र मंडल के आदरणीय सदस्य श्री विजय
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