कविता

अपने स्वभाव में जियो

 

न किसी के प्रभाव में जियो,न किसी के अभाव में जियों,
ज़िन्दगी में जीना है तो, बस अपने स्वभाव में जियो,
नक़ल करोगे किसी की तो नकलची कहलाओगे,
किसी की डगर पे चलोगे तो बस राहगीर रह जाओगे,

सबका जीवन अनुसरणीय नहीं होता,
सबका जीना अनुकरणीय नहीं होता,

अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित करो,
लगन से अपनी राह खुद चलो,
देखो कामयाबी आपके कदम चूमेगी,
दुनिया भी आपके क़दमों में झुकेगी,
स्वाभिमान की शक्ति सबसे महान है,

जग में इसी से होती मनुष्य की पहचान है,
शेर भी अपने स्वभाव से ही जंगल का राजा बना है,

देवदार भी अचल स्वभाव से ही, सबसे ऊंचा तना है,

आओ उठो अपने स्वाभिमान के बल पर आकाश को छू लो,

न किसी के प्रभाव में जियो,न किसी के भाव में जियों,
ज़िन्दगी में जीना है तो, बस अपने स्वभाव में जियो,

……..जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “अपने स्वभाव में जियो

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे भाव !

Comments are closed.