पखेरू (8 हाइकु)
1. नील गगन पुकारता रहता – पाखी, तू आ जा! 2. उड़ती फिरूँ हवाओं संग झूमूँ बन पखेरू।
Read More1. नील गगन पुकारता रहता – पाखी, तू आ जा! 2. उड़ती फिरूँ हवाओं संग झूमूँ बन पखेरू।
Read Moreउम्र के सारे वसंत वार दिए रेगिस्तान में फूल खिला दिए जद्दोजहद चलती रही एक अदद घर की रिश्तों को
Read Moreमैं पुनर्जीवित होना चाहती हूँ अपने मन का करना चाहती हूँ छूटते संबंध टूटते रिश्ते वापस पाना चाहती हूँ वह
Read More1. द्रौपदी-धरा दुशासन मानव चीर हरण। 2. पाँचाली-सी भू कन्हैया भेजो वस्त्र धरा निर्वस्त्र। 3. पेड़ ढकती ख़ामोश-सी पत्तियाँ करें
Read Moreकाँटों की तक़दीर में, नहीं होती कोई चुभन दर्द है फूलों के हिस्से, मगर नहीं देते जलन। शमा तो जलती
Read More1. अद्भुत छटा आत्ममुग्ध है झील ख़ुद में लीन। 2. ता-ता थइया थिरकती झील वो अलबेली। 3. अनवरत हुड़दंग मचाती
Read More1. जीवन जब आकुल है राह नहीं दिखती मन होता व्याकुल है। 2. हर बाट छलावा है चलना ही होगा पग-पग
Read More