ग़ज़ल
क़ाफिया-आना रदीफ़- कहीं मिला नहीं जहाँ में अभी ठिकाना कहीं! तुम हमें न यूं बार -बार आज़माना कहीं! मेरे मुकद्दर
Read Moreदीवारें भी सुनती हैं शायद जो भी बात घटती है घर में, कभी जब छोटी सी बात कलह बन जाती
Read Moreआओ देखो तुम ये राजनीति का खेला, क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला। इक दूजे पे तीर चले हैं
Read Moreवतन की शान देखो जब बढ़ने लगी थी, सिर्फ निंदा आतंक पे न रहने लगी थी। लहु देख शहीदों का
Read Moreराजनेताओं की मौज चल पड़ी है, बात छोटी हो या फिर बहुत बड़ी है। ट्विटर ने सब आसान कर दिया
Read Moreकभी-कभी जाने क्यों उल्झाती हैं कुछ अनकही बातें, जाने अनजाने जब छुपाई जाती हैं कुछ अनकही बातें। मन में कोतूहल
Read More