शे’र..
मैं चाहता रहा हरदम हालात मेरे दुरस्त हों, ज़िंदगी इसी जुस्तजू में देखो हाथों से निकल गई! तुम्हारी बातों का
Read Moreपुरानी यादों पर कोहरा जम गया… बीत गए क्यों पल में वो पुराने किस्से, हुआ करते थे कभी ज़िन्दगी के
Read Moreदीवारें भी सुनती हैं शायद जो भी बात घटती है घर में, कभी जब छोटी सी बात कलह बन जाती
Read Moreआओ देखो तुम ये राजनीति का खेला, क्योंकि दोस्तों अब आयी चुनाव की बेला। इक दूजे पे तीर चले हैं
Read Moreवतन की शान देखो जब बढ़ने लगी थी, सिर्फ निंदा आतंक पे न रहने लगी थी। लहु देख शहीदों का
Read Moreराजनेताओं की मौज चल पड़ी है, बात छोटी हो या फिर बहुत बड़ी है। ट्विटर ने सब आसान कर दिया
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