कविता

कुछ ख्वाहिशें अबुझी सी……..

कुछ ख्वाहिशें अबुझी सी कस कर बंधी मुठ्ठी से फिसलती रेत- सी क्यूं हैं??? छलकने की भी इजाजत है नहीं जिनको, वो बनकर अश्क की बूंदें ढलक जाती- सी क्यूं हैं??? चाहते हैं जिन लम्हों को हम रोक कर रखना वो दुगुनी वेग भागती- सी क्यूं हैं??? जिन्हें सौंपा है खुद को, खोकर अपनी खुदी […]

कविता

कुछ भाव अनकहे से……कविता की कलम से

एक क्यारी सजाई है एहसासों की जिसमें चिर संचित पुण्य हैं जन्मों – जनम के….. एक माला पिरोई है गुनगुनाहट की जिसमें लय और धुन है बजती घंटियां ज्यों मंदिर में…. एक जिंदगी बसाई है तेरे ही ख्यालों की जिसमें इबादत ही इबादत है जैसे परमेश्वर की…. एक पाती लिखी है तेरे नाम की जिसमें […]

कविता

आओ ना एक बार

आओ ना एक बार, भींच लो मुझे उठ रही एक कसक अबूझ – सी रोम – रोम प्रतीक्षारत आकर मुक्त करो ना अपनी नेह से। आओ ना एक बार, ढ़क लो मुझे, जैसे ढ़कता है आसमां अपनी ही धरा को बना दो ना एक नया क्षीतिज । आओ ना एक बार, सांसो की लय से […]