मुक्तक
अपनों की रूसवाई से डर, खुद को भूल गया हूं, सबको खुश करने की चाह, बीच में झूल गया हूं।
Read Moreपंद्रहवीं सदी में महान धार्मिक संत कबीर ऐसे काल में अवतरित हुए जब इस्लाम व सनातन धर्म के अनुयायियों में
Read Moreचलो फिर से बच्चा बन जायें, चलें गांव वापस खुशियां मनायें। हो प्रकृति से सीधा अपना नाता, सुबह खेत खलिहानों
Read Moreछोटी छोटी बनी मढैया, घास फूंस की पडी हो छैया, मिट्टी की दीवारें उसकी, धरती पर गोबर की लिपैया। फल
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