कविता
जब भी होता है मन व्यथित दोस्त को पता चल जाता है। रिश्तो नातों की भीड़ से अलग, दोस्त हर
Read Moreविकास आत्मनिर्भरता से ही होता है। भिखारी बन कर नही होता। दुकानदार, नौकरी करने वाला, लघु उद्योग या बडा उद्योग,
Read Moreनीर को धीर कहाँ, चीर संग चाहिए, मन भी अधीर यहाँ, ज्ञानी संग चाहिए| जीवन की नैया, बीच मझधार है,
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