उपासना
इष्टदेव की समीपता कहलाती है उपासना, निःस्वार्थ भाव सहित भक्ति है श्रेष्ठ उपासना. सबके भले में अपना भी भला होना
Read Moreशाम के छः बजे रमनलाल जी के घर के सामने श्वानों की लाइन लगी है. अच्छे विद्यार्थियों की भांति पूरी
Read Moreचंदामामा मुझे रोज कहें, हर रोज दूध तू पी लेना, मां दूध का प्याला दे देना, मैं चाहूं स्वस्थ हो
Read Moreचांद, तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं घुमंतु तो हो ही! कहीं टिककर रहना तो तुमने सीखा ही नहीं वैसे
Read Moreचांद, चाहे तुम्हें कोई पांडुरोग से कहे पीड़ित कोरोना के तनाव से ताड़ित दाग के दंश से दंशित तुम नहीं
Read Moreचक्र समय का चलता रहा, चांद जरा सा घटता रहा, तारों से अठखेलियां करके, छुपमछुपाई खेलकर रमता रहा. सूर्य से
Read Moreसंघर्ष से मिलती है मुक्ति, मुक्ति के लिए संघर्ष करना, संघर्ष ही मुक्ति बन जाता, बड़े-बड़ों का है यह कहना.
Read Moreछोटी-छोटी खुशी से ही ‘गर हम खुश हो जाएं, खुशियों का भंडार भर जाए, जीवन संवर जाए! छोटी-छोटी बातों-मुलाकातों पर
Read Moreनववर्ष हम सब कुछ मनाएँ ऐसे, नील गगन के आंचल में आदित्य जैसे, तारागण के बीच सोहे चंद्रमा जैसे, गोपियों
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