क्षणिका

चांद: तुम घुमंतु हो!

चांद,
तुम घुमंतु साहित्यकार हो या नहीं
घुमंतु तो हो ही!
कहीं टिककर रहना तो
तुमने सीखा ही नहीं
वैसे घुमंतु होने का भी
अपना आनंद है
नए-नए मनोहारी स्थलों के
दर्शन भी करो
और ज्ञानवर्धन भी हो!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244