शिक्षक दिवस: दो कविताएं
(शिक्षक दिवस विशेष) 1.शिक्षक और छात्र आओ मिलकर संधान करें, खुद अपना ही कल्याण करें- क्यों छात्र सुस्त है कुंठा
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Read Moreस्वच्छ हवा में सांस ले सकें, मिल पाए पर्याप्त स्वच्छ जल, देती यह संदेश प्रकृति, खुशहाली में बीते हर पल,
Read Moreमत समझो हम चीं-चीं करते, हम हरि के गुण गाते हैं, मुक्त उड़ान की सुविधा दी है, उसका शुक्र मनाते
Read Moreसाक्षरता है सुख का सागर, साक्षरता है स्नेह-समीर , साक्षरता है ज्ञान-उजाला, साक्षरता है आनंद-नीर. साक्षरता आंखों का नूर, साक्षरता
Read Moreआओ पढ़ें हम, आओ पढ़ें हम, पढ़-लिखकर आगे बढ़ें हम, कोई न हमको अनपढ़ कहे अब, लगाया पढ़ाई से दिल
Read Moreहोली (कविता) जब आपस में बंद होती है बोली, चलती बिन बन्दूक के गोली, भागी-भागी आती है होली, रंग-गुलाल लाती
Read More1.” वक्त ” कहता है मैं फिर न आऊंगा, मुझे खुद नहीं पता तुझे हंसाऊंगा या रुलाऊंगा, जीना है तो
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