नीरज जी की कमी समाज और साहित्य जगत को हमेशा खलेगी
राजनीति जिस प्रदेश के रग-रग में समाहित है। संस्कृति और सभ्यता का वाहक जो प्रदेश रहा है। गंगा, यमुना और
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Read Moreआज हमारे देश में एक ऐसी लकीर खींची जा रही। जिसमें बाहरी डर से हमें डराया जा रहा। आज के
Read Moreसियासी तौर पर देश के सबसे मजबूत राज्य की नियति जाति, धर्म में सिर्फ़ बिखरना ही नहीं रह गया है।
Read Moreसंवैधानिक ढांचे में ज़िक्र बराबरी और समान अधिकार का किया गया है। फ़िर बराबरी अवसर की समता की हो। या
Read Moreउम्मीद पर दुनिया क़ायम है, ठीक है। पर हर बार सिर्फ़ उम्मीद ही करना यह जायज़ नहीं न। हम उम्मीद
Read Moreसंविधान का अनुच्छेद-21 जीवन जीने का अधिकार देश के अवाम को देता है। ऐसे में यह अधिकार भलीभूत कब हो
Read Moreबच्चें लोकतंत्र में होने वाले चुनावी स्वांग का हिस्सा नहीं होते। शायद उन्हें इसलिए दरकिनार कर दिया जाता है। वरना
Read Moreबात विकास की होती है। बात सुशासन की होती है। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप की खिचड़ी भी पकती है। इतना ही
Read Moreइस समाज को हुआ क्या। जो गंगा-जमुनी तहज़ीब और सभ्यता को बट्टा लगाने में जुट गया है। कहीं भीड़ बेकाबू
Read Moreभौतिक सुख-सुविधाओं के बढोत्तरी के दौर में आदमी का ईमान और सामाजिकता मर सी गई है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं
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