Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

नास्तिकता बनाम् आस्तिकता

हमारे देश व समाज में कुछ बन्धु स्वयं को नास्तिक कहते हैं। उनसे पूछिये कि नास्तिक का क्या अर्थ होता

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

मनुस्मृति का सर्वग्राह्य शुद्ध स्वरूप

समस्त वैदिक साहित्य में मनुस्मृति का प्रमुख स्थान है। जैसा कि नाम है मनुस्मृति मनु नाम से विख्यात महर्षि मनु

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम

सभी प्राणियों को ईश्वर ने बनाया है। ईश्वर सत्य, चेतन, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तरयामी, सर्वातिसूक्ष्म, नित्य, अनादि, अजन्मा, अमर, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महाभारतोत्तर काल के देशी-विदेशी वेद भाष्यकार और महर्षि दयानन्द

आईये, पौर्वीय एवं पाश्चात्य वेदों के भाष्यकारों पर दृष्टि डालते हैं। महाभारत काल के बाद से अब तक लगभग 5,115

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां – एक या अनेक?

हम संसार में देख रहे हैं कि अनेक मत-मतान्तर हैं। सभी के अपने-अपने इष्ट देव हैं। कोई उसे ईश्वर के

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

ईश्वर सर्वव्यापक होने से सदा अवतरित है, उसे अवतार की न आवश्यकता है और न वह अवतार ले सकता है

ईश्वर का अवतार होता है या नहीं? विचारणीय प्रश्न है। हमारे पौराणिक बन्धु जो स्वयं को सनातन धर्मी कहते हैं,

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