गजल
भूलने में जिन्हें थे जमाने लगे आज बिछड़े वही याद आने लगे वह सफर मुख्तसर और मुलाकात भी हमको मंजर
Read Moreआता हुआ बुढ़ापा दिखता और लाचारी देख रहा हूं सबकी आनी है यह पारी और दुश्वारी देख रहा हूं एक
Read Moreघात करो प्रतिघात करो तुमखुलकर शह और मात करोमानवता का खुला प्रश्न बसअस्पताल पर हमला क्यों? हार रहे हैं जूझ
Read Moreजो भी सत्ता में आएगा अपने करतब दिलाएगाजाग रहे हैं अब मतदाता इसीलिए मतदान सुस्त है लुटा रहे हैं जमकर
Read Moreजनम जनम यों साथ हमारा जैसे बस्ती और बनजाराहो भी गया प्यार तुमसे तो कहाँ निभेगा साथ हमारातुम जन्मी उस
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